Considerations To Know About hanuman chalisa
Considerations To Know About hanuman chalisa
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“Diseases will probably be finished, all pains will be absent, each time a devotee constantly repeats Hanuman the courageous’s name.”
व्याख्या – मनुष्य के जीवन में प्रतिदिन–रात्रि में चारों युग आते–जाते रहते हैं। इसकी अनुभूति श्री हनुमान जी के द्वारा ही होती है। अथवा जागृति, स्वप्न, सुषुप्ति एवं तुरीय चारों अवस्थाओं में भी आप ही द्रष्टारूप से सदैव उपस्थित रहते हैं।
व्याख्या – मनरूपी दर्पण में शब्द–स्पर्श–रूप–रस–गन्धरूपी विषयों की पाँच पतवाली जो काई (मैल) चढ़ी हुई है वह साधारण रज से साफ होने वाली नहीं है। अतः इसे स्वच्छ करने के लिये ‘श्रीगुरु चरन सरोज रज’ की आवश्यकता पड़ती है। साक्षात् भगवान् शंकर ही यहाँ गुरु–स्वरूप में वर्णित हैं–‘गुरुं शङ्कररूपिणम् ।‘ भगवान् शंकर की कृपा से ही रघुवर के सुयश का वर्णन करना सम्भव है।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि॥
Various 14th-century and later Hanuman images are present in the ruins in the Hindu Vijayanagara Empire.[35] In Valmiki's Ramayana, believed to have been composed before or in in regards to the third century BCE,[36] Hanuman is a vital, creative figure as being a simian helper and messenger for Rama. It really is, on the other hand, from the late medieval period that his profile evolves right into a additional central purpose and dominance since the exemplary spiritual devotee, notably with the favored vernacular textual content Ramcharitmanas by Tulsidas (~ 1575 CE).
व्याख्या – श्री हनुमान जी महाराज ने श्री विभीषण जी को शरणागत होने का मन्त्र दिया था, जिसके फलस्वरूप वे लंका के राजा हो गये।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार॥
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भावार्थ – हे हनुमान जी! चारों युगों (सत्ययुग, त्रेता, द्वापर, कलियुग ) – में आपका प्रताप जगत को सदैव प्रकाशित करता चला आया है ऐसा लोक में प्रसिद्ध है।
महाबीर जब नाम सुनावै ॥२४॥ नासै रोग हरै सब पीरा ।
भावार्थ – भगवान् श्री राघवेन्द्र ने आपकी बड़ी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि तुम भाई भरत के समान ही मेरे प्रिय हो ।
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Owning polished the mirror of my heart Along with the dust of my Guru’s lotus toes, I recite the divine fame of the greatest king on click here the Raghukul dynasty, which bestows us with the fruit of all four initiatives.
“You happen to be golden coloured, you are shining as part of your stunning apparel. You have stunning ear-rings with your ear and curly hairs.”